Thursday 9 November 2017

ढूंढते तुम्हें हर द्वार प्रिय


हृदय में बसा लिया प्यार प्रिय
ढूंढते तुम्हें हर द्वार प्रिय
,
है व्याकुल नयन तेरे बिना
सुन लो मेरी तुम पुकार प्रिय
,
राह में तेरी पलकें बिछा
करते तेरा इंतज़ार प्रिय
,
सूनी गलियाँ सूना आंगन
तरसते तेरा दीदार प्रिय
,
पलकों को मधुरिम ख़्वाबों से
भर देते हो बार बार प्रिय

रेखा जोशी

No comments:

Post a Comment