Saturday 26 November 2016

न मिलने का बहाना और ही था

1222 1222 122

तिरा साजन  फ़साना और ही था 
न मिलने का बहाना और ही था 
.. 
चले तुम छोड़ कर महफ़िल हमारी 
कभी  फिर रूठ जाना और ही था 
... 
रही हसरत अधूरी प्यार में अब 
वफ़ा हम को दिखाना और ही था 
.... 
शमा जलती रही है रात भर अब
मिला जो वह दिवाना और ही था 
... 
न बदला रूप अपना ज़िन्दगी ने  
जिया  दिल से  ज़माना  और ही था 

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment