Friday 9 September 2016

आँखों से छलकता तेरे प्यार है

आँखों  से छलकता तेरे  प्यार है 
लब से करते फिर कैसे  इन्कार है 
... 
महक प्यार की ढूंढते यहां वहां 
अब तो ज़िन्दगी हमसे बेज़ार है 
... 
आई अंगना धूप  खिली खिली सी
हमें  तुम्हारा  कब  से इंतज़ार  है
...
खोये रहते तेरी यादों में हम
करेंगे प्यार तुमसे बेशुमार है 
....
खूबसूरत नज़ारे तुम्हे पुकारे
बगिया छाई अब  फिर से बहार  है

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment