Thursday 1 September 2016

फिरते है इस जहाँ में दीन दुखी मारे मारे

क्या  रोशन  करेंगे धरती को  चाँद और तारे 
फिरते  है  इस  जहाँ में  दीन  दुखी मारे मारे 
है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए 
गले अपने  लगा कर दे दो तुम उनको  सहारे 

रेखा जोशी 

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