Sunday 22 November 2015

नही मिली ज़िंदगी मुकम्मल यहाँ इसे ढूँढ़ते सभी जन


कहीं मिले ज़िंदगी कहीं ज़िंदगी तले मौत जीतना है 
मिली किसी को हजार खुशियाँ कहीं  मिली आज वेदना है 

नही  मिली ज़िंदगी मुकम्मल यहाँ इसे ढूँढ़ते सभी जन
मिले हमे ज़िंदगी जहाँ  में कभी यही आज कामना है

खिले यहाँ फूल राह में ज़िंदगी सुहानी बने  हमारी
ख़ुशी मिले  कब हमें जहाँ में सजन यही आज जानना है

यहाँ मिले गम हमें सुनाये किसे पुकारें किसे जहाँ में
नहीं हमारा जहान में  गम  हमें यहाँ आज  झेलना है

नहीं मिला प्यार ज़िंदगी आज शाम में ढल गई सजन अब
न रात गुज़री यहाँ न सुबह' हुई अँधेरा यहाँ घना है

रेखा जोशी






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