Monday 7 September 2015

राहें जुदा जुदा है मंज़िल भले वही हैं

गीतिका

चाहे कहीं चलो तुम हम भी चले वही  हैं 
राहें जुदा  जुदा है  मंज़िल  भले  वही  हैं

दीपक  जले  वफ़ा  के  मिलते  रहे सहारे
पायें   सदा  यहाँ  पे  शिकवे गिले वही हैं 
....
शरमाई '  चाँदनी  जब   नैना   झुके  हमारे
बरसात फूलों'  ने  की  साजन  मिले वही हैं

पाई ख़ुशी खिला दिल खिल खिल गये नज़ारे
खिलती कली कली अब  दिल जब खिले वही है

अब  ज़िंदगी  हमारी  कर  दी  है' नाम  तेरे
तकदीर  ने  दिये  है  हम  को  सिले  वही है

रेखा जोशी







No comments:

Post a Comment