Sunday 17 May 2015

आओ हम भर दे श्वेत स्याम के बीच महकते रंग अनेक

नहीं बँधी ज़िंदगी 
केवल दो रंग समेटे 
श्वेत स्याम 
इसके बीच भी 
है मुस्कुराती खिलखिलाती 
ज़िंदगी ज़िंदगी
अनेक रंगों से सजी
थिरक रहे खूबसूरत नज़ारे
आवरण नीला ओढ़े
लिये  आगोश में अपने अवनी
रंगीन पुष्पित पल्ल्वित
हरा भरा संसार
आओ सजायें ज़िन्दगी अपनी
रंग भर अनेक
छोटी छोटी खुशियों से
आओ महकायें ज़िंदगी अपनी
बाँट खुशिया सब में अनेक
आओ हम भर दे
श्वेत स्याम के बीच
महकते रंग अनेक

रेखा जोशी





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