Sunday 29 March 2015

खिले हुये फूलों की महक बरकरार है

खिले  हुये  फूलों की महक बरकरार है 
सब  ओर अब छाई  बहार  ही  बहार है
काश तुम  भी चले आओ इन बहारों में 
गर आओ तुम यहाँ ज़िंदगी गुलज़ार है 

रेखा जोशी 

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