Wednesday 7 January 2015

मुस्कुराती कभी या बहाती आँसू यह ज़िन्दगी

अक्सर मै
देखा करती
हूँ ख़्वाब
खुली आँखों से
अच्छा लगता लगा कर
सुनहरे पँख
जब
आकाश में उड़ता मेरा मन
छिड़ जाते जब तार
इंद्रधनुष के
और बज उठता
अनुपम संगीत
थिरकने लगता मेरा मन
होता सृजन मेरी
कल्पनाओं का
जहाँ
मुस्कुराती कभी
या
बहाती  आँसू
यह ज़िन्दगी


रेखा जोशी


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