Thursday 4 December 2014

तलाश रही तुम्हे

वीरान यह दिल 
बिन तुम्हारे 
है मालूम
नही आओगे तुम 
फिर भी 
न जाने  क्यों 
इंतज़ार है तुम्हारा 
महक रहे 
यह हसीन लम्हे 
और 
गुनगुनाती हुई 
यह सुहानी शाम 
बुला रही तुम्हे 
अब तो 
चाँद भी उतर आया 
अंगना में मेरे 
गुम है यह दिल 
यादों में तेरी 
और 
तलाश रही तुम्हे 
मेरी भीगी ऑंखें

रेखा जोशी 

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