Sunday 9 November 2014

तुम सिर्फ तुम

तुम मेरे
मनमंदिर में आन बसे
हर पल हो साथ
तुम मेरे
मेरी निराशा को 
देते हो बदल
आशा में
होती जब उदास
ले आते हो
मुस्कान होंठों पर
तुम मेरे 

पल पल 
देते हो सहारा 
जला कर मनमंदिर में 
दीप आशा के 
हे ईश मेरे 
तुम सिर्फ तुम
संवारते हो ज़िंदगी मेरी

रेखा जोशी 

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