Tuesday 11 November 2014

उफनती भावनाएँ

उठने लगी आज 
फिर
इक हलचल सी
सीने में मेरे
कसमसाने लगी
उफनती भावनाएँ
था बाँध रखा 
अब तक जिन्हे 
नही रोक पाई मै
जज़्बातों की 
उमड़ती बाढ़ को 
डूब गया मेरा मन 
आज 
तोड़  सब बंधन 
उमड़ पड़ी 
फिर
नैनो से मेरे
वही पगली बाँवरी 
अविरल अश्रुधारा

रेखा जोशी

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