Sunday 19 October 2014

माँ तुझे प्रणाम

वही चिरपरिचित
पैरों की थाप
छनकती पायल
नेह भरी मुस्कान
चेहरे पर
भरी दोपहरी
नीर भरी मटकी
सिर पर
समर्पित जीवन
सुबह से शाम
वही पगडंडियां
मुड़ मुड़ आती
उसी द्वार
माँ तुझे प्रणाम
माँ तुझे प्रणाम

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment