Tuesday 28 October 2014

''दिखावे की ज़िंदगी ''

साहिल एक पढ़ा लिखा होनहार नवयुवक था ,उसकी अच्छी खासी गुज़ारे लायक नौकरी भी लग गई थी ,माँ बाप ने सही समय जान कर एक अच्छे परिवार की लडकी सुमि से उसकी शादी कर दी| सुमि एक खुले दिलवाली बिंदास लड़की थी ,जो अपनी ज़िन्दगी में सब कुछ जल्दी जल्दी हासिल कर लेना चाहती थी ,एक सुंदर सा सब सुख सुविधाओं से भरपूर बढ़िया आरामदायक घर ,खूबसूरत फर्नीचर और एक महंगी लम्बी सी कार ,जिसमें बैठ कर वह साहिल के साथ दूर लम्बी सैर पर जा सके ,वहीं साहिल के अपने भी कुछ सपने थे ,इस तकनीकी युग में एक से एक बढ़ कर मोबाईल फोन,लैपटॉप और न जाने क्या क्या आकर्षक गैजेट्स मार्किट में लोन पर आसानी से उपलब्ध थे ,जिसकी कीमत धीरे धीरे आसन किश्तों में चुकता हो जाती थी ,दोनों पति पत्नी जिंदगी का भरपूर लुत्फ़ उठाना चाहते थे

अन्य लोगों की देखा देखी उपरी चमक दमक  से चकाचौंध करने वाली रंग बिरंगी दुनिया आज के युवावर्ग को अपनी ओर ऐसे आकर्षित करती है जैसे लोहे को चुम्बक अपनी तरफ खींच लेती है | पैसा भी लोन पर आसानी से मिल जाता है ,बस एक अच्छी सी सोसाईटी देख कर साहिल ने बैंक से लोन ले कर फ्लैट खरीद लिया,उसके बाद तो दोनों ने आव देखा न ताव धड़ाधड़ खरीदारी करनी शुरू कर दी ,क्रेडिट कार्ड पर पैसा खर्च करना कितना आसान था ,कार्ड न हुआ जैसे कोई जादू की छड़ी उनके हाथ लग गई ,एक के बाद एक नई नई वस्तुओं से उनका घर भरने लगा , और जब पूरा विवरण पत्र हाथ में आया तो दोनों के होश उड़ गए ,अपने फायदे के लिए क्रेडिट कार्ड चलाने वाली कम्पनियों के पास इसका भी हल है ,बस कम से कम पैसा चुकता करते जाओ और मूल धनराशी के साथ साथ ब्याज पर ब्याज का क़र्ज़ भी अपने सिर के उपर चढ़ाते जाओ और अंत में पैसा चुकता करने के चक्कर में अपना घर बाहर सब कुछ बेच बाच कर कंगाल हो जाओ |

सही ढंग से क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल न करने के कारण आज न जाने कितने लोग क़र्ज़ के बोझ तले झूठी शानोशौकत भरी ज़िन्दगी जी रहे है हजारो नौजवान क़र्ज़ को वापिस लौटाने की चिंता पाले हुए हर रोज़ अवसाद के शिकार हो रहे है ,आत्महत्या तक कर रहें है | झूठी चकाचौंध भरी जिंदगी जीने की चाह उन्हें एक ऐसे भंवर में पकड़ लेती है जिससे निकलना उनके लिए बहुत ही मुश्किल हो जाता है |

|इस झूठी चकाचौंध के भंवर में फंस रही कई जिंदगियां अंत में थक हार कर डूब ही जाती है और यही हुआ साहिल और सुमि के साथ क्रेडिट कार्ड के क़र्ज़ को चुकाते चुकाते उनके घर के सामान के साथ साथ उनका फ्लैट भी बिक गया और वह एक बार फिर से किराए के मकान में लौट कर आ गए |अगर देखा जाए तो वक्त बेवक्त क्रेडिट कार्ड बहुत काम आता है ,इसलिए समझदारी यही है कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल तो करो परन्तु सोच समझ कर कहीं ऐसा न हो साहिल और सुमि की तरह इस झूठी चकाचौंधके भंवर में डूबते ही जाओ और फिर कभी बाहर निकल ही न पाओ |

रेखा जोशी 

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