Sunday 21 September 2014

जहाँ मुस्कुराती है ज़िंदगी

अक्सर मै
देखती हूँ
ख़्वाब
खुली आँखों से
अच्छा लगता
लगा कर सुनहरे पँख
जब आकाश में
उड़ता मेरा मन
छिड़ जाते
जब तार इंद्रधनुष के
और
बज उठता
अनुपम संगीत
थिरकने लगता
मेरा मन
होता सृजन मेरी
कल्पनाओं का
जहाँ
मुस्कुराती है ज़िंदगी

रेखा जोशी 

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