Friday 11 July 2014

चौपाईयाँ


नभ पर किसने रंग भरें है  ,आसमान में दीप जड़ें है
भानु चाँद  सब घूम  रहें है ,किरणे यहाँ बिखेर रहें है

सुमन उपवन महका रहे है भंवरे गुंजन कर रहे है
बगिया  में छाई बहार है दिल में भी छाया खुमार है

है रंगीन छटायें छाये  मन को यह बहुत लुभायें
मोह लेते दिलकश नज़ारे खिली यहाँ मदमस्त बहारें

रेखा जोशी

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