Sunday 29 June 2014

फैला दे सब ओर मुहब्बते ही मुहब्बते

ज़िंदगी में गम है बहुत
फिर भी
यह हसीन लगती है
कुछ पल गम
तो
कुछ पल ख़ुशी होती है
यूहीं ऋतुओं का आना जाना मुस्कुराना
और
हमसे यह कहना
हर गम तू भुला दे
आएं गे
खुशियों के पल
 दोबारा
जो हो सके तो
 मिटा दे
चिंताएँ अपनी सारी
जो हो सके तो
बदल  दे
नफरतों की दिशा
फैला दे सब ओर
मुहब्बते ही मुहब्बते

अनुज शर्मा

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