Thursday 12 June 2014

दोहे [सावन पर ]

बादल गरजे गगन में ,घटाएँ है घनघोर । 
रास रचा  दामिनी से ,मचा  रहे  है शोर ॥ 

आँचल लहराये  हवा , ठंडी पड़े  फुहार 
उड़ उड़  जाये चुनरिया ,बरखा की बौछार  

 सावन बरसे झूम के ,भीगे तन मन आज 
 पेड़ों पे झूले पड़ें ,मधुर बजे है साज 

भीगा सा मौसम यहाँ  ,भीगी सी ये  रात । 
भीगे से अरमान है ,ले आई बरसात ॥ 

रेखा जोशी 


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