Monday 14 April 2014

सुख का मोल बहुत जीवन में

सुख का मोल बहुत जीवन में

खिला मुख पर यह मनहर हास
व्यथा का है पीछे इतिहास
होगा हाय लुप्त यह क्षण में
सुख का मोल बहुत जीवन में

बिना चाहे आता मधुमास
बिना पूछे जाता मधुमास
जाता छोड़ चुभन सी  मन में
सुख का मोल बहुत जीवन में

हृदय में हो खंडहर वीरान
भवन जिन पर करते निर्माण
कितने ढीठ प्राण यह तन में
सुख का मोल बहुत जीवन में

सुख का मोल बहुत जीवन में

महेन्द्र जोशी 

No comments:

Post a Comment