Wednesday 19 February 2014

हाइकु

छिड़ी थी जंग
सुर औ असुर में
अमृत पाना
.....................
मोहिनी रूप
सागर का मंथन
किया था छल
......................
मस्त असुर
देवों के अधर पे
रख दी सुधा
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गरल आया
नीलकंठ शंकर
विश्व बचा
.................
गरल सुधा
मिलते जीवन में
है यही पाया
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स्वाती अमृत
मिल कर जो पियें
ये सुधा सुधा
....................
धरो कंठ में
ये गरल गरल
सब के लिए

रेखा जोशी

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