Friday 29 November 2013

सपने बीनता

सुबह सुबह
ठिठुरती
सर्दी
कूड़े का
 ढेर
बीनता
सपने
टुकड़ों में
फलों के
रोटी के
नही सोऊँगा 
खाली पेट
सिर पर
होगी छत
कह रहा वो
मांगता वोट
दे दूँगा
जीते हारे
बला से
सपना
सच हो
मेरा

रेखा जोशी



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