Wednesday 30 October 2013

अनछुई ऊँचाईयाँ

ओ पंछी छोड़ पिंजरा 
भर ले उड़ान 
नील गगन में 
सांस ले तू
उन्मुक्त खुली हवा में 
तोड़ बंधन 
फैला कर पँख 
ज़मीं से अम्बर 
पार कर मुश्किलें 
छू लेना तुम 
अनछुई ऊँचाईयाँ 

रेखा जोशी 

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