Wednesday 19 June 2013

इन्द्रधनुष रंगों से स्वप्न

था इक हारा  हुआ इंसान
चकनाचूर  हुए  थे सपने
न मिल  रही थी  मंजिल
गम में डूबा था गमगीन
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जागी उम्मीद की किरण
दिवाकर से  मिली नजर
इन्द्रधनुष रंगों से स्वप्न
पाना उन्हें  है  बन सूरज
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भर उठा जोश से फिर वह
जीवन में भरने को वो रंग
प्रकाशित कर दुनिया यह
चमकना सूरज सा है उसे

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